वीर को लॉकडाउन से बहुत ही परशानी का समाना करना पडा, जब की इधार सोनम बहुत ही खुश थी, सोनम मेरे घर से दो मोहल्ले छोड के वहां सामने कंटू महाराज जी का आश्रम के समने बिल्डिंग मे रहती थी। देश मैं स्थिति लॉक डाउन की है, फिर भी यह दो प्रेमी अब एक दूसरे से व्हाट्सएप और फोन पर ही बातें करते हैं क्योंकि अब और कर भी क्या सकते हैं लेकिन फिर भी मैं खुश था। सोनम कह रही थी कि उसके पापा उसको इस समय योगा क्लासेस के साथ-साथ, अपने आप को कैसे सुरक्षित रखना है वह भी सिखा रहे थे। सोनम इसमें शायद कुछ ज्यादा ही व्यस्त थी। और मैं इधर व्यस्त था।
क्योंकि अब जब महाभारत टीवी पर दिखाया जा ही रहा है । तो क्यों ना मैं पूरे परिवार के साथ इसे देखने का मजा लो आफ्टर ऑल यह सब बचपन की यादें राजा करेंगे और मैं इसको अपने हाथों से कैसे जाने देता। आप ही बताइए आप इस बात से सहमत है, अब लोग हर घर में रामायण और महाभारत देखते और वैसे ही बिहेव करने लगते हैं। और खुद की लाइफ में और जिंदगी में कुछ बदलाव नजर आते हैं, क्योंकि भगवान के कहे हर बात को आप अगर गौर करें तो कोई फिलॉसफी से कम नहीं मुझे तो ऐसा लग रहा था कि सतयुग त्रेता और दोपहर योग फिर से लौट आया है, अब तो ऐसा लग रहा है की कलयुग का भी अंत कृष्ण भगवान कल्कि अवतार में आकर इस कोरोना नमक महामारी से हमें बचाएंगे और हमारी रक्षा करेंगे।
और आना भी चाहिए रामराज्य बनना भी चाहिए। लेकिन इस राम राज्य बनने से पहले एक बार मुझे सोनम से मिलने की इच्छा बहुत हो रही है भगवान प्लीज हे कृष्ण भगवान हे राम जी कृपा करें।
लेकिन ऐसा कुच्छ नहीं होन वाला, क्युंकी की जब मेरी सूबह अलार्म बजी तब मेरी आंखें खुली मैं बिस्तर से उठा और मैं आंख मलते हुए न्यूज़ चैनल ऑन किया और न्यूज़ पर वही चीज कोरोना कैसे बढ़ते जा रहे हैं, इसको रोकना होगा वैक्सीन बनने में अभी भी 17 से 18 महीने लगेंगे। तब तक हम क्वॉरेंटाइन होकर ही लड़ पाएंगे। कई पुलिस डॉक्टर नेता और फार्मासिस्ट ऐसे और भी अनेक वर्कर है जो बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं यही आ रहा था न्यूज़ चैनलों पर।
धीरे-धीरे खतरा बढ़ रहा था और इधर मेरी दिल की धड़कन बढ़ रही थी, सोनम की याद में सोनम कुमारी याद ही नहीं आ रही, ऐसा क्या हुआ। फिर फिर एक दिन मध्य प्रदेश सरकार ने घर के किसी एक व्यक्ति को बाहर जाने की अनुमति देने का निर्णय लिया था। और मैं यह न्यूज़ सुन के उछल पड़ा कि अब इस बहाने सोनम से मिलूंगा। मेरे चेहरे पर मुस्कान सा आ गया। फिर मैं सोनम के साथ बाहर मिलना है, उसका पूरा प्लान बनाया और मैंने उसको सारी बातें बताई। मैं सब्जी लेते हुए पुराने हनुमान मंदिर के पास पहुंचा और सोनम को कह दिया था कि उसकी हाथों की बनी यह मुझे खानी है। पता नहीं शायद दिल से निकल गया होगा, मुंह से तो कहना नहीं चाह रहा था।
फिर वह दोनों एक गार्डन के पास मिलते हैं, और सोनम फिर का टिफिन लेकर आती है, वीर टिफिन खोलकर खीर खाने लगता। वीर खीर खाते हुए बहुत ही आनंद ले रहा था। और इधर सोनम उससे बात करना चाह रही थी, की वीर सोनम की आंखों में प्यार से देख रहा था ऐसा लग रहा था, कि मैं सागर की कश्तियों में सफर कर रहा हूं। और लहरें मुझे छू के पार हो रही है।
फिर उसी वक्त भोपाल का एक नवभारत का एक पत्रकार वहीं से गुजर रहा था। जो कि वीर को जानता था उसके पापा और वे बहुत अच्छे दोस्त हैं। उन्हें यहां पर इस वक्त देखकर अचंभा हुआ, की वैश्य महामारी के दौरान एक बार ऐसे घूम सकता है, उनका नाम "मोहन कुमार" था। फिर मोहन कुमार ने उनके पास जाकर उनको समझाया कि आप ऐसे व्यर्थ ना घूमें समाज के लिए, यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं है,आप घर में रहें अच्छे रहें और मास्क पहन के घूमे। मोहन कुमार ने बहुत ही समय लिया हमारा, मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा इतना लेक्चर तो मैंने कॉलेज मैं कभी नहीं सुना, मेरे पापा ने कभी नहीं दिया था। वैसे मैं सब समझ रहा था। लेकिन नजरअंदाज भी कर रहा था। कुछ चीजें क्योंकि मैं गलत ठहरा था ऐसा होता है। अक्सर कभी-कभी हमको कोई चीज समझ में नहीं आती और समझने में समय लगता है।
मेरे मन में यह चल रहा था कि चलो सब तो ठीक है हम कहां बैठे हैं मोहन कुमार वहां क्या कर रहा है उनका क्या सीन है, वह हमें क्यों बोल रहे हैं, कि बाहर नहीं निकलना चाहिए। घर जाओ आप पिक क्यों निकले हो मन में ऐसे ही खयाल मुझे खाया जा रहा था। उनका जवाब ढूंढने की कोशिश कर रहा था परंतु मुझे समझ में नहीं आ रहा था। मोहन कुमार थोड़ा टेढ़ा आदमी तो था, लेकिन बाद उसने सही कही कि हमें ऐसे वक्त नहीं घूमना चाहिए।
मोहन कुमार सेमल के वीर को अच्छा लगा फिर वीर और सोनम वहां से अपने अपने घर की ओर जाने लगे। अपनी गाड़ी के पास गया गाड़ी स्टार्ट करने लगा तब गाड़ी की चाबी शायद वह भूल गया था। वीर चाबी लेने के ऑफिस गया। और यह क्या वह देखकर तो दंग रह गया मोहन कुमार जी हमें ज्ञान का पाठ पढ़ा रहे थे और खुद पार्वती से मिलने आए हैं। और एक क्या आपस में बातें कर रहे हैं। मोहन कुमार पार्वती को कह रहे कि यह कुर्ता बड़ा अच्छा है और आपने रीसेंट भी बहुत अच्छा लगा है और आपकी मुस्कान तू हाय मुझे दीवाना बना देती है,। मुझे उनकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था कि कि जाकर उनको मैं ऐसी कड़वी कभी बातें बोलूं कि उनके नाक और मुंह से खून निकलने लगे मेरे अंदर इतनी गुस्से की ज्वाला झलक रही थी कि मैं क्या
बताऊ ।
फिर मैं पीछे सन के पास गया उसी समय आ गए दोनोंब्लॉक डाउन में भाग कर शादी करने की बात कर रहे थे लड़की पूछ रही थी कि बाकी जाएंगे कहां मोहन मोहन कुमार जी ठहरे बिहार के तो बिहारी में बोले पटना ले जाएंगे सीधा तुमको समझी का तोहार संगम विहा रचाबो।
तभी मैंने हंसते हुए कहा अरे मोहन कुमार जी आपकी जेब से ₹5 के लिए और वह भी ऐसे कि तलबला कर देखने भी लगे और वह पार्वती जी को पटना भगा के लेकर जाएंगे और इस लॉक डाउन में और हमें ज्ञान की पाठ हमें पढ़ा रहे थे। मैंने कह दिया उनको भाग कीमत चाहिए पुलिस के पैर हैं चारों तरफ डंडे डंडे पड़ेंगे। दिमाग अकल ठिकाने आ जाएगी। मोहन कुमार ने उसकी तरफ शर्मिंदा होते देखा और कहां कि मैं तुमको यह बात समझा रहा था कि तुम यहां से चले जाओ मुझे पार्वती से मिलना था उसके पिताजी हमारी शादी के लिए नहीं मान रहे हैं इंटर कास्ट मैरिज है ना इसीलिए पिताजी कहते हैं। की ओए बेटी उसी को देंगे जिसके जेब भरे हो और जो उनका भी जेब भर सकें। लोग घर जमाई बनते हैं इधर ससुर जमाई घर बनेगा।
इसीलिए हम यहां आए थे कि हम इस बात पर निर्णय ले सके हम बहुत प्यार करते हैं पार्वती से और वही सरेआम मेरे सामने बात करते-करते 506 पर उसने पार्वती को आई लव यू बोल रहा था जानू सोना मोना यह है कलयुग अच्छा खासा मैं वहां पर आती देख रहा था वही सही था भगवान आप जो करते हैं अच्छा करते हैं कुछ ना कुछ सिखाने के लिए करते हैं मैं अब सारी बातें समझ रहा हूं मुझे आपसे अपने करियर पर ध्यान देना अपने आप को बेहतर बनाना और इस करो ना के खिलाफ जंग लड़ना बाहर निकल कर नहीं घर पर रहकर यह बात मैं समझ गया।
मैंने अब समझदारी दिखा कर उन लोगों को समझाया और कहा कि अब ऐसी स्थिति में ऐसी काम मत मत करो क्योंकि हमको अभी किसी चीज की भी अनुमति नहीं है क्योंकि पूरी तरीके से लोगों का पालन करना पड़ रहा है। आप यहां से एक चौराहे चौराहे भी नहीं जा सकते। मैंने उनको समझा-बुझाकर घर भेजा अरोड़ा ने खुदकुशी कर चल दिए मैं भी अपनी गाड़ी की चाबी लेकर सोनम को उसके घर छोड़ा मैं अपने घर गया और घर में पहुंचा तो पिताजी दरवाजा के सामने खड़े थे कमर पर हाथ रखकर मुझे घूरे जा रहे थे। मेरी तो फट गई उनको देखकर कहीं उनको पता तो नहीं चल गया।
मम्मी ने उधर किचन के तरीके से सारा किया, की कैसी बच के तू अंदर आ जा और मैंने कहा क्या हो गया है। फिर बताओ तभी पापा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और और कहां। मेरी जेब से तूने ₹2000 निकाले तो निकालें लेकिन तुम्हें आज का नोट कि थोड़ा बेटा। मैं जरा हुआ था और लड़का आती हो। आज मत आना पापा आप एक दिन अपनी दोस्त से बात कर रहे थे आपके दोस्त के पास वर्ष में पैसा नहीं था। तो आपने कहा था कि जेब खाली नहीं, रखना चाहिए तो आपने उसे ₹5 दिए थे तो मैंने सोचा कि ऐसा नियम होता होगा सॉरी बाबा फिर जो हाल मेरा हुआ वाहन के क्या करोगे। एंजॉय लाइफ और ऑप्शन क्या है। बस इतनी सी थी यह कहानी।
मै वीर हूं, हम कोविद -19 को हरयंगे, सोशल डिस्टेंसिंग से हम है जो वायरस को रोके सक्ते हैं हम सब भारतीय मिल्कर!