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https://avalanches.com/in/chpra__diya_hindu_philoshopy_or_belief_further_states_that_after_the_realis698941_14_08_2020

#DIYA

Hindu philoshopy or belief further states that after the realisation of #aatma , one must learn to #love and #serve others , without any expectations of reward in return .....

Such selfless service would bring #contentment , #aanand and #happiness in our lives .....

The external materialistic rewards are only #illusion .....

As a part of purification on #lighting diyaa , one must endeavour to make one's aatma #purer .....

Insted of trying and expecting to change the #world outside , change #inside ......

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#Bangloreriot


जल उठेगा शहर अगर आवाज़ उठी तो,

पैगम्बर है राम थोरे है ...!


आग लगती है , तभी धुआ उठता है ...

युही बदनाम ये अवाम थोरे है ...!


ना जाने कितने ' बुरहान ' छिपे है तहज़ीब के आड़ में ,

हर कोई यहाँ ' कलाम ' थोरे है ...!

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https://avalanches.com/in/chpra__life_688140_11_08_2020

LIFE


- Life is like a song ,

(Sing it happily ?)


- Love is a purest feeling ,

(Feel it ?)


- When no words , don't worry eyes are there ,

(Communicate with it ?)


- Parents are god ,

(Respect them ?)


- Only a word sorry can bond every fight ,

(Make habit of saying it ✨)


- Peace is medicine

(Try to have it ?️)


- Light will always bright your life ,

(Start to on the switch of happiness ?)


- Surrounding has many knowledge ,

(Observe it ?)

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UNBROKEN LIFE...


Yes , i am making my life ,

Till then when i will die .

Slowly slowly when the air blows,

Mind becomes still and the feelings grows.....


Yes , i dont want the lines '' MY LIFE MY RULES ''

Only i want is a black sky with nature's tune .

When saffron sun gives me his rays ,

With them i also want the rain.....


Nothing will remain forever ,

Everything will finished one day .

Yes still i am unknown for me ,

And i am sure i will alaways be.....


Yes what is real life i dont want to know ,

If i am going in an illusion life then let me go .

And if there is his (GOD) magic ,

It is this , It is this , it is this.....

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WHAT YOU HAVE , ITS NOT YOURS


Its the nature of we human beings that we are never satisfied in that much we have . we can call it greediness or desire to have more and more . but what we are having now , that is also not ours . in human life , more than focusing on health , family , a man focus on earning more and more wealth , name and fame , which will of no use . people are familiar with us when we are alive , having all comfort , but after death , no one is going to remember you and also you are not going to take away all the wealth , name and fame which you earned in your life time ......

Rule of nature ''DONT BE SAD OR DONT BE HAPPY , BECAUSE TIME WILL SURELY CHANGE''

It means that if you are happy , having everything , every comfort , then just dont be happy because one day you are going to loose it ......

We are able to see daily conflicts between people on reality of god . some says god is , and some belives it fake . but we should remember that whole universe is being controlled by a POWER , NATURAL POWER , GOD ....

SO.... just belive on god and helping others ,


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https://avalanches.com/in/chpra__290777_18_05_2020

मजदूरो कि व्यथा

दास्तां क्या कहे हम अपनी

जी हां मजदूर हूं मै मजबूर हूँ मै ,

अपने निगाहबां के ऊकू़बत से ।।

मीलो चला हूँ नंगे पांव मै,

छाले पड़े है पांव मे सब ।

न थका हूँ मै न हारा हूँ मै,

चलता रहा हूँ बस चलता रहा हूँ मैं ।

कंभी शहर मे कभी गांव मे,

कभी रेल के पट़रियो के ताव मे।

कुछ पल रुका हूँ पीपल की छांव मे,

रोने लगे जब बच्चे राह में ।

कभी कुछ समाजसेवीयो ने थामा,

बस कुछ फोट़ो मदत करते हुए ड़ाला।

काबिल कलमकार भी मिले राहो मे ,

जख्म खोजते थे कैमरे हमारे भाव मे।

बस मेरे जख्मो कि नूमाईश कि जग में ,

और चल दिये घाव को नासूर करके।

हम तो बिक रहे थे हजारों हजार मे,

खबरों और टीवी के बाजारो में।

ईन संवेदनशील अखबारों में,

और नेताओं के डिपी और बयानों में ।

न सहलाया किसी ने समझाया किसी ने,

दर्द मेरा न समझा किसी ने ,

इत्तिहाम अब किसपे लगाए प्रमोद,

मजदूर हूँ मै मजबूर हूँ मै।


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बिहार के हालात पर दो शब्द

मजलूमों के दर्द पे सिक रही है रोटियां बिहार के सियासतदानों कि,

रणनीति बनाई जा रही है बिहार विघानसभा मे झंडा लहराने कि।

शह और मात के ईस चुनावी खेल में ,

भ्रष्टाचार , हिन्दू मुस्लिम मुद्दा नहीं रहा अब खेल में,

पलायन, स्वास्थ्य और रोजगार का मुद्दा आ गया वेल में।

पप्पू साथियों के साथ ड़टे है मैदान मे , तेजु खडे है सोशल मीड़िया के भरोसे पर ,

सुशासन बाबू को भरोसा है अफसरान पर , छोटे भाई पिछलग्गू बनकर चल रहे है बड़े भाई के कांघ पर।

सबसे पुरानी पार्ट़ी का कोई खेवनहार नहीं और मांझी के पास अब पतवार नहीं,

पीके सोच रहे है आऊ कि नहीं मैदान मे , मल्लाह और कुशवाहा के पास नहीं है दम ।

प्लूरल्स क्या आपको भी कुछ करना है या हवाओं मे रहना है ?,

2020 इन्तजार रहेगा ईतने ठ़ोकर खाकर जनता क्या नया ईतिहास लिखेंगा।

.

.

हे रब ये तेरा कैसा ईन्तहान है।


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कोविड़ 19 और लाकँडाऊन 3.0

भारत अब लाकँडाऊन के तीसरे चरण जो 17/05/20 यानी 14 दिन का है ऊसमे आ गया है भारत में अभी तक लगभग 47000 लोग संक्रमित हो गये है । लाकँडाऊन 2.0 तक तो सब ठीक चल रहा था परंतु तीसरे चरण मे आते आते केन्द्र सरकार से चुक हो गई और जीस तरह से शराब के दुकान को आवश्यक वस्तुओं के ऊपर ज्यादा तरजीह दी गई वो सरकार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है परंतु राज्य सरकार राजस्व का हवाला देकर (कहा जा रहा है कि एक दिन मे लगभग 500 करोड़ का शराब बिक्री हुआ है ) जो कर रही है वो ईनकी नीम्न स्तरीय राजनीति को दर्शाता है और जनता भी जीस तरह 41 दिन के तपस्या के बाद ईन दुकानों पे टुट़ पडि है ये दर्शाता है कि क्यो राजनेता विकास के स्वास्थ्य के जन कल्याण के मुद्दों कि परवाह नहीं करते वो जानते है जनता की कमजोरी और चुनाव जीतने के आवश्यक हतकंड़े । अब बीहार मे ही देखे अप्रवासी मजदूर के मुद्दों में कीतनी राजनीति चल रही है और ईन सब के बीच शिक्षक लोगों का हड़ताल जो काफी लम्बे समय से चल रहा था वह खत्म हो गया कैसे क्या ? सरकार सब मांग मान गई ? किसी को नहीं पता । ये जो यूनीयन के नेता होते है ऊनको सरकार मैनेज करना जानती है जब जरूरत होता है ईन लीड़रो का सरकार मुंह बंद कर देती है और जो ईनके पिछे चलते है कार्यकर्ता ऊनको कुछ नहीं पता होता ऊनका केवल ऊपयोग किया जाता है अपने स्वार्थ के लिए । और मजे कि बात ये है कि ऊन्हे पता भी नहीं चलता। खैर सरकार को अब ईनकी जरूरत लगी तो वो ईन्हे मैनेज कर लिए वरना ईनको पुछ भी नहीं रही थी ईनसबके बीच जो छात्रों का नुकसान हुआ ऊससे हमारे नेताओं को कभी मतलब ही नहीं रहा न ऊन बुद्धिजीवी शिक्षक को । हमारे यंहा मिडिया भी मैनैज होती है वो कैसे ? ऊसके लीए सरकार पेड़ न्यूज का प्रबंध कर के रखी है ईसका ईस्तेमाल सभी राजनीति दल और राज्य सरकार करती है ईसका सबसे अच्छा प्रयोग केजरीवाल जी ने दिल्ली मे कोरोना संकट़ मे किया और मीडिया का पेट़ भरा और मीडियाकर्मियों ने भी ऊन्हे सर आंखों पर बिठाया और कमीयों को नजरअंदाज किया।यहीं है मीडिया मैनेजमेंट ईसके लिए नीतीश जी ने पहले प्रशांत कीशोर को रखा था और ऊन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था पर अब वो नीतीश जी से खफा हो गए है और अब वो बीहार को बदलने कि तैय्यारी कर रहे है यह आगे विघानसभा चुनाव मे पता चलेगा की बीहार को बदलने मे वो कीस पार्ट़ी का सहयोग लेंगे। खैर जनता तो पीस रही है एक तरफ महामारी दुसरे तरफ प्रकृतिक आपदा और रोजगार का जाना तीहरी मार पड़ रही है जनता पर अब भगवान भी नजरे फेर लिए है देखते है लाकँडाऊन 3.0 के बाद क्या होता है।


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मई दिवस पर मजदूरो का द्वन्द

मुर्गी अंडे दे रही थी और मालिक बेंच रहा था।

मुर्गी देशहित में अंडे दे रही थी।

उसके मालिक ने कहा था-

’’ आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडों की जरूरत है।

यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो। आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया। हम करेंगे। तुम्हारा विकास करके छोड़ेंगे।’’

मुर्गी खुशी से नाचने लगी।

उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है।

वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी।

देश है तो मैं हूं।

वह दो अंडे देने लगी।

मालिक खुश था।

अंडे बेचकर खूब पैसे कमा रहा था।

मालिक निहायत लालची सेठ था।

उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी।

मुर्गी चौंकी। -’’ आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई। कोई समस्या है क्या ?’’

-’’ देश आज संकट में है। किसी भी मुर्गी को पूरा अन्न खाने का हक नहीं। जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगी। हम देश के लिए संकट सहेंगे।’’

मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी। मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था।

बरसात में मुर्गी का घर नहीं बन पाया।

मुर्गी बोली- आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं। मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है। कहा था कि घर सोने का बनेगा। नहीं बना। मेरे घर की मरम्मत तो करवा दो।

मालिक भावुक हो गया।

बोला "तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं। रात-रात भर रोती रहती हैं। तुम्हें अपनी पड़ी है। तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिए। अपने लिए सोचना तो स्वार्थ है।’’

मुर्गी चुप हो गई। देशहित में मौन रहने में ही उसने भलाई समझी।

अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी।

कमजोर हो गई थी।

न खाने का ठिकाना न रहने का।

वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी।

वह पूछना चाहती थी-

"इतने पैसे जो जमा कर रहे हो- वह क्यों और किसके लिए?

देशहित में कितना लगाया है?"

लेकिन पूछ नहीं पाई।

एक दिन मालिक आया और बोला- ’’ मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा। देश तुमसे बलिदान मांग रहा है। तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों को जीवन देगा।’’

मुर्गी बोली "लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है,"

मालिक ने कहा अब तुम्हे शहीद होने पड़ेगा।

बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था

लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया।

मुर्गी किसी बड़े भूखे सेठ के पेट का भोजन बन चुकी थी।

*मुर्गी देशहित में शहीद हो गई.*???

(नोट- जो आप सोच रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नही है।

ये सिर्फ एक मुर्गी की कहानी है।

युवा बेरोजगारों, किसानों ,मध्यवर्गीय नागरिकों, मजदूरों,गरीबों , कर्मचारियों को और अधिक उन्मादी होकर राष्ट्रभक्ति में *बिना चू चप्पड़ किये* देशी नेताओ और कॉरपोरेट्स की तिजोरी भरना महान राष्ट्रभक्ति और युगधर्म की कसौटी है। इसपर चलते रहें ")

* अपना अधिकार मांगेंगे तो कहेंगे कि देश पर बोझ पड़ेगा और जब अपने वेतन भत्ते बढ़ाने होंगे तो हाथ उठाकर बिना बहस किये बढा लेंगे. Copy past

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कोविड-19 कोरेना संक्रमण और बीहार कोरोना के संक्रमण से बीहार में अब तक 83 लोग संक्रमित हो चुके है दो लोगों कि म्रत्यु हो चुकी है एवम् 37 संक्रमित वयक्ति ठीक हो चुके है , अब बीहार मे राज्य से बाहर फंसे मजदूर एवम् कोटा़ मे फंसे बीहारी छात्रों पर राजनीति शुरू हो गई है। तेजस्वी यादव जी ने दील्ली से या चाहे जंहा वो एकांतवास मे जाते है वहां से एक वीडियो फेसबुक मे अपलोड किये है जीसमे वो नीतीश जी से लीखा हुआ स्क्रिप्ट पड़ते हुए हाथ जोड़ कर अपील की है की बीमारी हवाई जहाज वाले लाए और सजा बी.पी.एल वाले भुगते ये नही होना चाहिए नीतीश जी अपने ड़बल ईन्जन की सरकार मे मजदूरो , गरीब लोगों का घ्यान रखते हुए केन्द्र सरकार से सहयोग लेकर वीशेष ट्रेन की व्यवस्था कर ईन्हे अपने राज्य मे वापस लाएं और कोट़ा मे फंसे छात्रों के लिए तो ऊन्होने यु. पी. के मुख्यमंत्री कि तारीफ करते हुए कहा कि जीस तरह योगी जी युपी. कि जनता को वीशेष व्यवस्था कर अपने राज्य मे ला सकते है तो नीतीश जी क्यों नही ला सकते और पप्पू यादव जी अघ्यक्ष जाप ने तो दो कदम आगे बढ़ते हुए 50 बस मदद को बिहार सरकार को कोटा़ मे फंसे छात्रों को लाने के लिए सरकार को देने का वादा भि कर दिया। पर नीतीश जी ईसपर ट़स से मस होते नजर नही आ रहे ऊल्ट़ा ईसपर वो कोट़ा के डीएम पर कार्यवाही करने हेतू प्रधानमंत्री को खत लीख दिए है की कैसे लाकडाऊन मे वो छात्रों को छोड़ रहे है क्योंकि एक खेप छात्र कोट़ा से बस से पहले भी आ चुके है जिन्हें क्वारेंनटाईन मे भेजा जा चुका है। नीतीश जी का कहना है जो जंहा है वंही रहे सरकार हर संभव मदत ऊन्हे पंहुचा रही है और आगे भी पंहुचाएगी । नीतीश जी के ईस बात का समर्थन बीहार कांग्रेस अघ्यक्ष ने भी किया है । नीतीश जी के पुराने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत कीशोर ने भी अप्रवासियों के मुद्दे पर नीतीश जी पर नीशाना साधा है ,और बीहार सरकार कि आलोचना कि है। अब बीहार मे कोरोना की लडा़ई मे आने वाले विघानसभा चुनाव का असर दिखने लगा है जंहा सरकार हर कदम पर वोट़ बैंक का ध्यान रखकर रणनीति बना रही है तो विपक्षी भी हर चाल पर नजर गडाये हुए है अब लाकडाऊन 2.0 मे अभी दो सप्ताह का वक्त है अभी तलवारें म्यान् से नीकली है आगे आगे देखिए क्या होता है और कौन किसका साथ देता है किसका किसके साथ नया गठबंधन होता है सभ पता चल जाएगा ।......


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Lockdown 2.0

आज 10 बजे प्रघानमंत्री जी का फिर देश के नाम संदेश आया और लाकडाऊन को 19 दिनों के लिये बढाने कि धोषणा की जैसा की पहले से अनुमान लगाया जा रहा था । अब समस्या ज्यादा गंभीर हो गई है और सरकारी सहायता अपर्याप्त लग रहा है जैसे हम जैसो बहुत लोगों के पास न राशनकार्ड बना है न जनघन खाता है तो हम भारत के नागरिक नही है क्या। कई बार राशनकार्ड बनवाने के लिए चक्कर काटे सारे दस्तावेज जमा किये पर लालफीताशाही से थककर छोड़ दिया। वहीं हाल प्राईवेट कर्मचारियों का है मोदी जि के कहने पर घर बैठे कोई सैलेरी छोटा डीलर या व्यवसायी क्या कोई प्राईवेट कम्पनी नही देगी । तीस पर राशन लेने जाने या जरूरी कार्य से भी निकलने पर प्रशासन का सेनेटा़ईज ड़न्डे का गरीबों पर ईस्तेमाल । मार कौन खाता है गरीब ,प्राईवेट कर्मचारी जो रोजगार के लिए राज्य से पलायन करते है , और रोग कौन फैलाया वीदेशो मे काम करने वाले पैसे वालो ने ईन्हे आज भी वी . आई .पी .सुविधाएं ऊपलब्ध है और जंहा तंहा कानून की घज्जिया ऊड़ा रहे है। अब 19 दिन कैसे कट़ेगा ये गरीब सोच रहा है जिनके पास सुविधा है वो तो लाकडाऊन का समर्थन करेगा ही पर गरीब का हाल पर न कोई नेता वीचार करता है न कोई नीति बनाता है कोई बीमार है, किसी के यंहा दुर्घटना घट़ी है ऊसपर भी सरकार संवेदनशील नही है किसी का कोई दिल्ली मे फसा है कोई गुजरात मे राहत के नाम पर खानापूर्ति हो रही है बस सब भगवान भरोसे चल रहा है। सब्जियां और फल सस्ती हो गई ऊसपर लोग मीम्स बना रहे है ऊस सब्जी और फल ऊगाने वाले और बेचने वालों का हाल नही जानते प्रशासन के ड़र से सब्जी बाजारों मे बेचने से ड़र रहे है वीक्रेता और औने पौने दाम मे कृषक को सब्जियां बेचनी पड. रही है कुछ बरबाद भी हो रहा है। छोटे दुकानदार रोज कमाने रोज खाने वालों का हाल बेहाल है। रिक्शा चालक , ठेला चालक , टेम्पु चालक , नाई , पंक्चर बनाने वाला , फुट़पाथ पर समान बेचने वाला ईन्हे कोई सरकारी सुविधा नहीं है ईनका बस शोषण है। सरकारी कर्मचारियों का वेतन घर बैठे मिल जाएगा ईनका वेतन कैसे मीलेगा ? पांच कीलो अनाज और 500 / से महीने का खर्च चल जाएगा वो भी ऊनका जीनका सरकारी रीकार्ड मे नाम दर्ज है जीनका नही है ऊनका ?? ऐसे बुरे हालात मे देश के कुछ विद्वान कैसी देश सेवा कर रहे है जाने , लगभग सभी प्राईवेट डांक्टर अपने आप को क्वारेंनटाईन कर लीए है क्या नीयमो का पालन करते हुए ये जरूरी सेवा नही दे सकते और हमारे लोकप्रिय नेता मायावती , अखिलेश यादव , क्रांतिकारी नेता कन्हैया कुमार , असुवैद्दीन ओवैसी आदी नेताओं का भी कुछ पता नहीं चल रहा है जनता के बुरे वक्त मे।

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Other News India

Optical Networking and Communication Market Growth Scenario 2033


According to the Regional Research Reports, the Global Optical Networking and Communication Market size is estimated to be USD 26.38 billion in 2023 to USD 62.45 billion by 2033, exhibiting a CAGR of 9.0% from 2023 to 2033.


Request Sample Copy of this Report: https://www.regionalresearchreports.com/request-sample/optical-networking-and-communication-market/ICT-8512

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Title: "Education for All: Unlocking Human Potential and Building a Better World"


In a world driven by innovation and progress, access to education stands as the key to unlocking the large potential within every individual. The idea of "Education for All" is to eliminate social boundaries,transcends borders and emphasizing the importance of making quality education accessible to every person, regardless of their background or circumstances. In this blog, we explore into the significance of this universal goal and the impact it has on our global society.

Education as a Universal Right


Education is often cheered as a universal human right, promoted in international declarations and agreements. It is a force that can level the playing field, offering opportunities and hope to those who might otherwise be left behind. Here are some compelling reasons why education for all is a critical imperative:


Empowerment: Education empowers individuals to shape their destinies,make informed decision and think critically. It nurtures self-confidence and enables people to contribute actively to their communities and societies.


Breaking the Cycle of Poverty: Education is a powerful tool for poverty alleviation. It equips individuals with the skills needed to improve their livelihoods, secure better job opportunities, and break free from the cycle of poverty.


Promoting Equality: Education for all fosters social equality. It ensures that everyone, regardless of their gender, physical abilities, or socio-economic status, has an equal chance to reach their full potential.


In conclusion, education for all is not just a slogan; it is a call to action that can transform our world. By providing inclusive, accessible, and high-quality education, we can harness the potential of every individual,build more equitable and peaceful societies and stimulate economic development. It is a shared responsibility to work together towards a world where every person, regardless of their circumstances, has the opportunity to receive a quality education and contribute to a brighter future for all.

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Mobile Wi-Fi Market Size, Industry Share, Report and Global Forecast till 2023-2033


According to the Regional Research Reports, the Global Mobile Wi-Fi Market size is estimated to be USD 10.18 billion in 2023 to USD 16.9 billion by 2033, exhibiting a CAGR of 5.1% from 2023 to 2033.


Request Sample Copy of this Report: https://www.regionalresearchreports.com/request-sample/mobile-wi-fi-market/ICT-8511


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Work environment at Dell


This is the story of an Alumni of Parul University’s Computer Science and Engineering branch. The student got placed in his dream company, Dell Inc.

The student, in his live session with an RJ, spoke about the atmosphere he is experiencing at the Dell Inc. Office. The Alumni said how relaxing the work from home policy was, the flexibility and how his employers focus on quality of work rather than the time invested.

The student also mentions how his university helped him gain the placement. He appreciates the university’s personality development, great campus interviews and best education to build thier confidence and groom them.

By concluding, he suggests every student to work hard and achieve their dreams and passion.

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https://avalanches.com/in/janjgir_satyamahir6726506_29_09_2023

Satyam.ahir

I want to be an photographer

Hobby.is playing game and photographer

My stylish pic

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https://avalanches.com/in/janjgir_satyamahir6726505_29_09_2023

Satyam.ahir

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Hobby.is playing game and photographer

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