दंतेवाड़ा ज़िले के युवा साहित्यकार श्री सुमित मिश्रा जी से साक्षात्कार:-
सुमित जी सर्वप्रथम अपना संक्षेप परिचय दीजिए?
जी, मेरा नाम सुमित मिश्रा है और मैं दंतेवाड़ा ज़िले के किरंदुल नामक क्षेत्र से हूं। मैंने रिटेल बैंकिंग एंड फाइनैंस में मास्टर्स किया है तथा वर्तमान में अचीवर्स प्वाइंट नाम से प्रशिक्षण केन्द्र चला रहा हूं जहां पहली से स्नातक तक के बच्चों को पढ़ाता हूं तथा कंप्यूटर, इंग्लिश और बैंकिंग की भी तैयारी कराता हूं।
साहित्य के प्रति आपकी रूचि कब से बढ़ी?
कविताएं एवं ग़ज़ल सुनना स्कूल के समय से ही अच्छा लगता था लेकिन खुद की कलम से कभी कुछ लिख नहीं पाता था। काफ़ी दिनों तक राहत इंदौरी साहब की शायरी सुना करता था और उनसे ही लिखने की प्रेरणा भी मिली।
अपने साहित्यिक सफ़र के बारे में कुछ बताइए?
शुरुआती दिनों में स्वयं के लिए लिखा करता था जहां ना मंच से कोई सरोकार था और नाही श्रोताओं से, जो मुझे अच्छा लगता था बस उसे लिखता था परंतु जब साहित्यक आस्था काव्य मंच, अयोध्या से जुड़ा तब मंच की जानकारी हुई जिसके पश्चात् ऑल इंडिया रेडियो तथा दूरदर्शन में काव्य पाठ का अवसर प्राप्त हुआ।
आपकी अपनी सबसे प्रिय रचना कौन सी है?
वैसे तो मैं ग़ज़ल ज़्यादा लिखता हूं किंतु मणिकर्णिका घाट नाम से मैंने एक कविता लिखी है जिसे पढ़कर मुझे लगता है की थोड़ा बहुत लिख सकता हू इसके अलावा दंतेवाड़ा और नशा मुक्ति नामक मेरी कविता मुझे अच्छी लगती है।
अपने किताबों के बारे में कुछ बताइए?
मेरी सात किताबें एमेजॉन तथा एक किताब गूगल बुक्स पर उपलब्ध हैं जिनमें से दास्तां ऐ इश्क़ अब तक की मेरी सबसे ज़्यादा डाउनलोडेड क़िताब है।
दंतेवाड़ा ज़िले के उभरते साहित्यकारों के लिए आपका संदेश?
यही की निर्भीक होकर अपनी रचना लिखें, अपने कलम को चाटुकार ना बनने दें। किसी के दबाव में आकर जब कोई कलमकार लिखता है तो वो अपनी पहचान खो देता है।
जो सच है उसे लिखें और दंतेवाड़ा की छवि बदलें