In this chaotic world she is the serenity you will crave for.
Most probably Seema Harish Thanvi hails from the City Of Rajasthan. A women with so many ambitions to fulfill .
She is passionate for Writing.She's a Coffee Freak.
She craves for each word to give it a meaning. Inspiring People and Spreading Smilestones make her heart smile. In Spite of writing she has a great interest in Cooking. A women who has an aim to prove the world that everybody is same. She has written one of the masterpiece named Prem Sagar. A beautiful book with so many emotions in it. She wants to be a renowned author , best writer and wants to give all the happiness of the world to her 2 daughters. She is a single mother and always gave the best life to her daughters inspite of struggling alone.
*One Of The Amazing Poems Written By Her Is Mentioned Below*
बहारे बसंत, रंगे गुलाल,
तुम्हारा साथ, वो भी कमाल,
छुपके-छुपके,
नज़रो की चोरी,
लाल सफ़ेद चुनरी भीगी फागनीय की चोली,
मद-मस्त मगन में,
झूमू-नाचू, गाऊ,
बहे नीर संग लाल, पीला, नीला रंग,
बाहों में भर ले मुझे,
रंग जाऊ तेरे संग,
ओरन की परवाह नही,
कृष्ण संग भीजे मेरा मन।।
एक माँ अपनी बेटियों को आसमान में उड़ते देखना चाहती है,
बेटियां उड़ो तो आसमान में कि परियों का उड़ना गुनाह नही,
पर गिरना मत, सच यह भी है,
की दुनिया में गिरने वालो की कोई जगह नही,
मेरी प्यारी गुड़िया, नाजुक हो तो कोई बात नही,
पर ध्यान रहे तेरे इरादे अडिग हो चट्टान से,
फलवाले पेड़ की डालियों जैसे झुकी रहना पर,
मुठ्ठियाँ तान लेना जब बात आए सम्मान पर,
ऐ मेरी राजकुमारी! फैलाना सल्तनत,
अपने स्नेह और प्यार की!
की तुमसे ही कायम है,
पवित्रता इस संसार की,
सच की राहों पर अगर कोई उठा दे ऊंगली तुम पर,
दुनिया की तुम करना परवाह नही,
खूब उड़ो बच्चियों आसमान में,
की परियों का उड़ना गुनाह नही।।
ज़िंदगी किस तरह बसर हो ?
की दिल नही लग रहा मोहब्बत में,
सोचा बहुत की सब छुट जाएगा,
सोचा उसे सुधार लुंगी,
पर प्रारब्ध को था कुछ और मंज़ुर
अपना बनाकर संवार लुंगी,
पर उसकी फितरत उसकी आदत में सुमार थी,
एक का होकर हर एक का नशा रखना आदत बेशुमार थी,
बिछड़ना मेरा प्रारब्ध नही था मेरी मजबुरी थी,
झगड़ा ना करके एक नए रिश्ते को पन्नाह दु,
ऐसी मेरी कोई इच्छा नही थी,
खामोशी से तोड़ दिया मैंने रिश्ता,
दर्द जो था वो अंदर ही रह गया,
बस यही हैं की हम दुश्मन नही हैं,
वफ़ादारी की कोई बात नही हैं,
बस उसमें ढूँढ़ते थे मोहब्बत, प्यार, वफा,
सच्चाई अब इन शब्दों का कोई किरदार नही हैं,
अब ना ही कोई तमन्ना उनकी,
ना ही कोई आरज़ू हैं,
बस खुद से एक प्रश्न हैं,
की मोहब्बत में जीती हूँ,
किस तरह ये ज़िंदगी निकले,
दिल नही लग रहा मोहब्बत में,
ऐसे तो ज़िंदा रहे तो मर ही जाएंगे।।
स्वप्न में जीवन का सार देखा,
अपनी ही मौत का रास देखा,
कोरोना काल का चल रहा तांडव,
मैं भी उसी में मरने की मिसाल,
कफन में लिपटे तन को जलते अपने शरीर को देख रही थी,
सफेद कपड़े पहने सब एक जगह खड़े थे,
उदासी का माहौल था, कुछ रो रहे थे, कुछ बूत बन देख रहे थे,
दूर खड़ी मेरी आत्मा देख रही थी यह मंज़र सारा,
पर दिख नहीं रही थी संगनी साथी, ना मेरी बेटियाँ,
जिन्हें कभी देखा भी नही, खड़े थे वो कतार बांधे,
कुछ तो बहुत उदास थे,
कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे,
अचानक पकड़ी किसीने मेरी कलाई,
पलट कर देखा चेहरा तो बड़ी हैरान हुई,
चेहरे पर मधुर मुस्कान आंखों में झलक रहा,
वो और कोई नही मेरा प्यारा भगवान था,
जब देखा सावँरे को जिज्ञासा भरी नजरों से,
हंस कर कहने लगा,
तूने हर दिन दो पल किया मुझे दिल से याद था,
वो कर्ज़ उतारने आया हु,
तुझे अपने साथ ले जाने आया हु,
कुछ पल यह सोचकर आंखें भर आईं,
जिसको किया दो पल याद वो लेने आया,
जिस पर हर घड़ी रहा वो शमशान पहुँचाने आया है,
भचक्कर खुली आंख मेरी,
फिर भी नहीं जाग रही थी,
फिर पता चला वो थी सपने की जादूगरी,
सच से थी वाकिफ अब में,
पर फिर भी नही जाग रही थी इस मायानगरी से,
अंजान सी इन राहो में चल रही थी अकेली मैं,
अब वो दर्द जगा
जीते जी ही मिल लू अब तुझसे,
तोड़ यह बंधन बंदगी करलू तुझसे।।